सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

यही तो भजन है

कहीं देख दुखिया दुखी तेरा मन है, 
यही तो भजन है2
कोई गिर गया है, मैं कैसे उठाऊं, 
उठाने से पहले स्वयं गिर न जाऊं।
वो रोता है यदि तेरे मन में रुदन है, 
यही तो भजन है2
जरूरी नहीं है तुम्हे ताक न थी। 
न बातें करो तुम कभी अर्चना की।
दया है तो तन यह भजन का भवन है। 
यही तो भजन है2
कहीं एक अंधे को रस्ता दिखाया। 
अतिथि को बैठाकर के पानी पिलाया।
वो है सन्त राही का सत सत नमन है। 
यही तो भजन है2

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कृपा मयी कृपा करो

कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है। दयामयी दया करो , प्रणाम बार बार है।। न शक्ति है न भक्ति है , विवेक बुद्धि है नहीं। मलीन दीन हीन हुं , पुण्य शुद्धि है नहीं।। अधीर विश्वधार बीच डूबता शिवे सदा। अशान्ति भ्रांति मोह शोक , राह रोकते सदा।। विपत्तियाँ अनेक अम्बे , आपदा अपार है। कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है।।   तुम्हे अगर कहो , कहु कहाँ विपत्ति की कथा। सुने उसे कौन अगर , सुनो न देवी सर्वथा।। सृजन विनास स्वामीनी , समस्त विश्व पालिका। अदृश्य विश्व प्राण शक्ति , एकमेव कालिका।। कठोर तू तथापि भक्त , के लिए उदार है। कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है।।   असंख्य हैं विभूतियाँ , अनंत शौर्य शालिनी। अखण्ड तेज राशियुक्त , देवि मुंड मालिनी।। समस्त सृष्टि एक अंश , में प्रखर प्रकाशिका। विवेक दायिका विमोह , पाप शूल नाशिका।। क्षमामयी क्षमा करो , उठी यही पुकार है। दयामयी दया करो , प्रणाम बार बार है।।   शिवे विनीत भावना , लिए हुए खड़ा हुआ। चरण सरोज में अबोध , पुत्र है पड़ा हुआ।। कृपामयी सुदृष्टि मां , एकबार तू निहार दे। मिटे रोग ...

9 मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से

मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है। रंगीला है रसीला है न गोरा है न काला है।। कभी सपनों में आ जाना कभी रूपोस हो जाना। यह तरसाने का मोहन ने निराला ढंग निकाला है।। मजे से दिल ...

12 क्या वह स्वभाव पहला

क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है। हम दीनो के वास्ते क्या दरबार वह नहीं है।।                                क्या वह स्वभाव पहला... या तो दयालु मेरी दृग दीनता नहीं है। या दी...