सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कृपा मयी कृपा करो

कृपामयी कृपा करो, प्रणाम बार बार है।

दयामयी दया करो, प्रणाम बार बार है।।

न शक्ति है न भक्ति है, विवेक बुद्धि है नहीं।

मलीन दीन हीन हुं, पुण्य शुद्धि है नहीं।।

अधीर विश्वधार बीच डूबता शिवे सदा।

अशान्ति भ्रांति मोह शोक, राह रोकते सदा।।

विपत्तियाँ अनेक अम्बे, आपदा अपार है।

कृपामयी कृपा करो, प्रणाम बार बार है।।

 

तुम्हे अगर कहो, कहु कहाँ विपत्ति की कथा।

सुने उसे कौन अगर, सुनो न देवी सर्वथा।।

सृजन विनास स्वामीनी, समस्त विश्व पालिका।

अदृश्य विश्व प्राण शक्ति, एकमेव कालिका।।

कठोर तू तथापि भक्त, के लिए उदार है।

कृपामयी कृपा करो, प्रणाम बार बार है।।

 

असंख्य हैं विभूतियाँ, अनंत शौर्य शालिनी।

अखण्ड तेज राशियुक्त, देवि मुंड मालिनी।।

समस्त सृष्टि एक अंश, में प्रखर प्रकाशिका।

विवेक दायिका विमोह, पाप शूल नाशिका।।

क्षमामयी क्षमा करो, उठी यही पुकार है।

दयामयी दया करो, प्रणाम बार बार है।।

 

शिवे विनीत भावना, लिए हुए खड़ा हुआ।

चरण सरोज में अबोध, पुत्र है पड़ा हुआ।।

कृपामयी सुदृष्टि मां, एकबार तू निहार दे।

मिटे रोग शोक मां, जो हाथ तू पासार दे।।

हरेक वस्तु बीच अम्बे, आपका बिहार है।

कृपामयी कृपा करो, प्रणाम बार बार है।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

9 मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से

मेरा गोपाल गिरधारी जमाने से निराला है। रंगीला है रसीला है न गोरा है न काला है।। कभी सपनों में आ जाना कभी रूपोस हो जाना। यह तरसाने का मोहन ने निराला ढंग निकाला है।। मजे से दिल ...

3 संतन के संग लाग रे

संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी। अच्छी बनेगी तेरी किस्मत जगेगी।। होए तेरो बड़ भाग रे।। तेरी अच्छी बनेगी... रामचरण अनुराग रे तेरी अच्छी बनेगी... ध्रुव जी की बन गई प्रहलाद की बन गई। हरि सुमिरन में जाग रे।। तेरी अच्छी बनेगी... कागा से तोहे हंस करेंगे, कागा से तोहे हंस करेंगे। मिट जाए उर के भाग रे।। तेरी अच्छी बनेगी... मोह निसा में बहु दिन खोयो।। जाग सके तो जाग रे।। तेरी अच्छी बनेगी... सुत वित नारी तीन आशाएं।। त्याग सके तो त्याग रे।। तेरी अच्छी बनेगी... कहत कबीर राम सुमिरन में पाग सके तो पाग रे।। तेरी अच्छी बनेगी...