पकड़लो बांह रघुराई, नहीं तो डूब जाएंगें।
डगर ये अगम अनजानी, पथिक मैं मूढ़ अज्ञानी।
सम्हालोगे नहीं राघव, तो सांसे टूट जाएंगे।
नहीं वोहित मेरी नौका, नहीं तैराक मैं पक्का।
कृपा का सेतु बन्धन हो, तो प्रभु हम खूब आएंगे।
नहीं है बुद्धि विद्या बल, माया में डूबी मति चंचल।
निहारेंगे मेरे अवगुण, तो प्रभुजी ऊब जाएंगे।
प्रतीक्षारत है ये राजन, शरण लेलो सिया साजन।
शिकारी चल जिधर प्रहलाद, जी और ध्रुव जाएंगे।
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