क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
हम दीनो के वास्ते क्या दरबार वह नहीं है।।
क्या वह स्वभाव पहला...
या तो दयालु मेरी दृग दीनता नहीं है।
या दीन को तुम्हें ही दरकार अब नहीं है।।
क्या वह स्वभाव पहला...
पाते थे जिस हृदय से आश्रय अनाथ लाखों।
क्या वह हृदय दया का भंडार अब नहीं है।।
क्या वह स्वभाव पहला...
जिससे की द्विज सुदामा त्रिलोक पा गया था।
क्या उस उदारता में कुछ सार अब नहीं है।।
क्या वह स्वभाव पहला...
दौड़े थे द्वारका से जिस पर अधीर होकर।
उस अश्रुबिन्द से भी क्या प्यार अब नहीं है।।
क्या वह स्वभाव पहला...
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