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28 सब चला चली का मेला

दो दिन का जग में मेला।
सब चला चली का खेला।।

कोई चला गया कोई जावे।
कोई गठरी बांध सिधावे।।

कोई खड़ा तैयार अकेला।। सब चला चली का मेला…

कर पाप कपट छल माया।
धन लाख करोड़ कमाया।।

संग में चले न एकउ ढेला।। सब चला चली का मेला…

सुत नारि मात पितु भाई।
कोई अंत सहायक नाही।।

फिर भरे क्यों पाप का ठेला।। सब चला चली का मेला…

यह नश्वर सब संसारा।
कर भजन ईश का प्यारा।।

ब्रह्मानंद कहे सुन चेला।। सब चला चली का मेला…

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