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20 दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा

राम नाम से तूने वंदे क्यूँ अपना मुख मोड़ा
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा…

एक दिन खेल कूद में बीता
एक दिन मौज से सोया।
देख बुढ़ापा आया तो क्यूँ पकड़ के लाठी रोया।।
अब भी राम सुमिरले वरना पडेगा काल हथौड़ा…
दौड़ा जाए रे…

अमृतमय है नाम हरि का
तू अमृतमय बनजा।
अमृत रस है नाम प्रभू का
इस अमृत को पीजा।।
मन में ज्योत जगाले तू बस हरि के रंग में रंगजा।।
जीवन डोर सौप हरि को नहीं पड़ेगा कोड़ा।।
दौड़ा जाए रे…

क्या लाया क्या ले जाएगा
क्या पाया क्या खोया।
वैसा ही फल मिले यहाँ पर जैसा तूने बोया।।
काल लीलने बैठा इसने किसी को भी न छोड़ा…
दौड़ा जाए रे…

मन के कहे जो करते हैं वो दुःख ही दुःख हैं पाते।
माया के वश में जो रहते घोर नरक वो जाते।।
जो भी अजर अमर थे वह भी यहाँ पे दम है तोड़ा
दौड़ा जाए रे…

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