राम नाम से तूने वंदे क्यूँ अपना मुख मोड़ा
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा…
एक दिन खेल कूद में बीता
एक दिन मौज से सोया।
देख बुढ़ापा आया तो क्यूँ पकड़ के लाठी रोया।।
अब भी राम सुमिरले वरना पडेगा काल हथौड़ा…
दौड़ा जाए रे…
अमृतमय है नाम हरि का
तू अमृतमय बनजा।
अमृत रस है नाम प्रभू का
इस अमृत को पीजा।।
मन में ज्योत जगाले तू बस हरि के रंग में रंगजा।।
जीवन डोर सौप हरि को नहीं पड़ेगा कोड़ा।।
दौड़ा जाए रे…
क्या लाया क्या ले जाएगा
क्या पाया क्या खोया।
वैसा ही फल मिले यहाँ पर जैसा तूने बोया।।
काल लीलने बैठा इसने किसी को भी न छोड़ा…
दौड़ा जाए रे…
मन के कहे जो करते हैं वो दुःख ही दुःख हैं पाते।
माया के वश में जो रहते घोर नरक वो जाते।।
जो भी अजर अमर थे वह भी यहाँ पे दम है तोड़ा
दौड़ा जाए रे…
कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है। दयामयी दया करो , प्रणाम बार बार है।। न शक्ति है न भक्ति है , विवेक बुद्धि है नहीं। मलीन दीन हीन हुं , पुण्य शुद्धि है नहीं।। अधीर विश्वधार बीच डूबता शिवे सदा। अशान्ति भ्रांति मोह शोक , राह रोकते सदा।। विपत्तियाँ अनेक अम्बे , आपदा अपार है। कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है।। तुम्हे अगर कहो , कहु कहाँ विपत्ति की कथा। सुने उसे कौन अगर , सुनो न देवी सर्वथा।। सृजन विनास स्वामीनी , समस्त विश्व पालिका। अदृश्य विश्व प्राण शक्ति , एकमेव कालिका।। कठोर तू तथापि भक्त , के लिए उदार है। कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है।। असंख्य हैं विभूतियाँ , अनंत शौर्य शालिनी। अखण्ड तेज राशियुक्त , देवि मुंड मालिनी।। समस्त सृष्टि एक अंश , में प्रखर प्रकाशिका। विवेक दायिका विमोह , पाप शूल नाशिका।। क्षमामयी क्षमा करो , उठी यही पुकार है। दयामयी दया करो , प्रणाम बार बार है।। शिवे विनीत भावना , लिए हुए खड़ा हुआ। चरण सरोज में अबोध , पुत्र है पड़ा हुआ।। कृपामयी सुदृष्टि मां , एकबार तू निहार दे। मिटे रोग ...
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