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11 हरि गुण गाने लगा

मैंने छोड़ा जगत जंजाल, हरि गुण गाने लगा।
मेरे मन में बसा श्री गोपाल, हरि गुण गाने लगा।।

छोड़ी ममता छोड़ी माया, छोड़ी छलने वाली छाया।
लेके भक्ती में ये करताल, हरि गुण गाने लगा।।

नाम हरि का सांचा रे भाई, साथ में चलिहै भजन कमाई।
न डरावेगा अब ये काल, हरि गुण गाने लगा।।

हरि का भजन है सुख दाता, जीवन का संताप मिटाता।
तोड़ दुनिया के बंधन का जाल, हरि गुण गाने लगा।।

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