तेरी चौखट पे ऐ श्याम प्यारे, सर हमारा झुका ही रहेगा।
जब तलक तुम नहीं दोगे दर्शन, तेरे दर से न ये सर उठेगा।।
तेरी चौखट पे-
एक मुद्दत हुई हमको प्यारे, आस चरणों की ओर लगाए।
कभी होगी कृपा दृष्टी प्यारे, ये हृदय का कमल कब खिलेगा।।
तेरी चौखट पे-
लेके मन में बड़ी आस मैं भी, आज आया शरण मैं तुम्हारी।
माग होगी मेरी आज पूरी, मेरा दामन यहीं पर भरेगा।।
तेरी चौखट पे-
मैं भिखारी हूं और तुम हो दानी, लाज दोनों ही नामों की रखना।
गर मैं लौटूंगा खाली यहाँ से, ये जमाना तुम्हे क्या कहेगा।।
तेरी चौखट पे-
प्रेम का आज प्याला पिलादो, अपनी सेवा में हमको लगादो।
पाके चरणों का तेरे सहारा, तेरा सेवक भंवर से तरेगा।।
तेरी चौखट पे-
कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है। दयामयी दया करो , प्रणाम बार बार है।। न शक्ति है न भक्ति है , विवेक बुद्धि है नहीं। मलीन दीन हीन हुं , पुण्य शुद्धि है नहीं।। अधीर विश्वधार बीच डूबता शिवे सदा। अशान्ति भ्रांति मोह शोक , राह रोकते सदा।। विपत्तियाँ अनेक अम्बे , आपदा अपार है। कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है।। तुम्हे अगर कहो , कहु कहाँ विपत्ति की कथा। सुने उसे कौन अगर , सुनो न देवी सर्वथा।। सृजन विनास स्वामीनी , समस्त विश्व पालिका। अदृश्य विश्व प्राण शक्ति , एकमेव कालिका।। कठोर तू तथापि भक्त , के लिए उदार है। कृपामयी कृपा करो , प्रणाम बार बार है।। असंख्य हैं विभूतियाँ , अनंत शौर्य शालिनी। अखण्ड तेज राशियुक्त , देवि मुंड मालिनी।। समस्त सृष्टि एक अंश , में प्रखर प्रकाशिका। विवेक दायिका विमोह , पाप शूल नाशिका।। क्षमामयी क्षमा करो , उठी यही पुकार है। दयामयी दया करो , प्रणाम बार बार है।। शिवे विनीत भावना , लिए हुए खड़ा हुआ। चरण सरोज में अबोध , पुत्र है पड़ा हुआ।। कृपामयी सुदृष्टि मां , एकबार तू निहार दे। मिटे रोग ...
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