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17 तेरी पार करेंगे नैया

तेरी पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया।

निस दिन भज गोपाल पियारे।
मोर मुकुट पीतांबर बारे।।
भगतन के रखवैया… भजमन…।

स्वास स्वास भज नंद दुलारे।
वही तो बिगड़े काम सवारे।।
नटवर चतुर रिझैया… भजमन…।

अर्जुन के हित रथ को हांका।
सांवरिया गिरधारी बांका।।
महाभारत युद्ध जितैया... भजमन..।

ग्वाल बाल संग धेनु चरावे।
लूट लूट दधि माखन खावे।।
कालिय नाग नथैया… भजमन…।

भक्त सुदामा चावल लाए।
गले लगाकर भोग लगाए।।
कहकर भैया भैया… भजमन…।

नरसी जी ने टेर लगाई।
सावल शाह नहीं देर लगाई।।
ऐसे भात भरैया… भजमन…।

संकट से प्रहलाद उबार्यो।
खंभ फाड़ हिरणाकुश मार्यो।।
नरसिंह रूप  धरैया… भजमन…।

जल डूबत गज हरिहि पुकार्यो।
छाड़ी गरुण प्रभु तुरत पधार्यो।।
गज की टेर सुनैइया… भजमन…।

आतुर हो गजराज पुकारा।
मैं हूं भगवन दास तुम्हारा।।
पहुंचे गरुण चढैया... भजमन…।

अबला को दे शरण न कोई।
भरी सभा में द्रोपदी रोई।।
पहुंचे चीर बढैया… भजमन…।

वन में एक शिला थी भारी।
चरण धूलि दे अहिल्या तारी।।
ऐसे स्वर्ग पठैया… भजमन…।

दीनानाथ सर्वहितकारी।
संकट मोचन कृष्ण मुरारी।।
जनता पत रखवैया… भजन…।

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