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समझना तो चाहा..

समझना तो चाहा, लेकिन समझ न पाया।2 जब जब सवाल दिल में2 मैंने ये उठाया।।                               समझना तो०.. मैं हूँ कौन और यहां, किस लिए हूं आया। दुनियां क्यों बनी है, किसने इसे बनाया।। रचकर अपार रचना2 न कोई पार पाया।                                समझना तो०.. शिशु से जवान हुआ, जवानी भी जाती रही। बार बार जन्म लिया, मौत भी ये आती रही।। कब से ये चल रहा है2 कब किसने ये बताया।।                                समझना तो०.. उलझी हुई है उलझन, उलझन सुलझ न पाई। दुनिया बीमार ऐसी, कोई करे दबाई।। अपना ये सारा जीवन2 व्यर्थ क्यों गंवाया।।                                समझना तो०..